भूलता नहीं है
भूलता नहीं है ये दिल
देरी वफाई और बेफाई
तुम साथ थे जब तक
दिल में सुकून था
तुमने आज छोड़ दिया तो
दर्द ही दर्द है बस
बैरंगी दुनियां है ये
सब मतलब के लिऐ मिलते जुलते है
प्यार मुहब्बत के लिऐ यंहा
आज किस को वक्त है
खुदा करे तुम हमेशा सलामत रहो
हम रहे या ना रहे तुम खुश रहो
तुम्हारी यादें आज भी
सीने में लिऐ घूमता हूं
कुछ यादें है तेरी
उसे देख कर ही खुश होता हूं
भूलता नहीं है ये दिल
तेरी वफाई और बेवफाई
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर
दर्द का सेलाब देखा
दर्द का सेलाब देखा केरला में ऐसा बाढ़ देखा
नदी नालों को समुन्दर बनते देखा
बरसात की बूँदें छोटी थी
विनाश को बड़ा करते देखा
खेत ख्लीयान सड़क रास्ते
और मैदान मकान क्या दुकान
सबको सेलाब बनते देखा
सीलन और फिसलन से जान माल को खोते देखा
क्या अमीर क्या गरीब
सबको एक साथ रोते देखा
त्राहि त्राहि मचा है चारों और
अबकी बरसात को ऐसा आते देखा
क्या मंदिर क्या मस्जिद और चर्च
सबको एक साथ सेलाब बनते देखा
बरसात की बुंदे बूंद बूंद बन कर
विनाशा और अभिशाप की राह पर चलते देखा
नेता अफसर का जेब गीला फ़िर से हो
ऐसा बहना है अब बरसात का देखा
सेनिकों को फिर से जनता
और जान माल की रक्षा करते देखा
धन्य है वे सब जिन्होने अपनी जान जोखिम
में डाल कर केरला की रक्षा की
बरसात की बुंदे राम भगत देख रहा है
ऐसे में कुछ नेता को पकिस्तान और विदेश में जाते देखा
दर्द का सेलाब देखा केरला में ऐसा बाढ़ देखा
नदी नलों को समुन्दर बनते देखा
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर
जिसके दिल में कोई जगह
जिसके दिल में कोई जगह ना थी
जिस के दिल कोई जगह ना थी
जिसे कोई फिक्र ना कदर थी
आज महसूस हुवा वे अपने ना थे
वो सपने जो देखे वो सपने ना थे
उस पर खुदा की रहमत हो
खुशियों से उसका घर संसार हो यही दुवा है मैरी
मतलब परस्ती कर गई वो
रिश्तों में कोई अहमियत ना थी
भुला दिया वो बाते कभी पुछा था
साथ दोगे जीवन भर क्या
वो कैसे भूल गये साथ जो उसका था
वो सिर्फ मतलब परस्ती और दिखवा था
मैं जानता हूँ अब वो मनाने हक जताने नहीं आएंगे
अब रूठने का मुझको भी कोई हक नहीं
सोचा था दिल की बात मैं कह दूँगा रूबरू
जब सामने वो आए तो खफा हुवे बिन मतलब के
माना में अब उसके लायक ना था
पर प्यार मैरा खुदा कसम उसके लिए कम ना था
वो यादें मुलाकातें सताती है मुझे अब भी
कैसे कहूँ मुझे उनसे बेहद प्यार है
जिस के दिल में कोई जगह ना थी
जिसे कोई फिक्र ना कदर थी
आज महसूस हुवा वो अपने ना थे
जो सपनें देखे वो सपनें ना थे
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत
9816832143
कॉपी पेस्ट डिलीट
कॉपी पेस्ट डिलीट जैसे हुई है
आज इंसान की जिंदगी
कौन कब कहां मिले कब बिछुड़े
धीरे धीरे कोई पता नहीं
कभी जोड़ रहे है तोड़ रहे है मोड़ रहे है
हिन्दू मुस्लिम सीख बोल कर इंसानियत को खो रहे है
मशीनी युग में हम बढ़ रहे है बिगड़ रहे है
जालसाज में इंसान आज फंस रहे है
रोज उठते है सोते है पाते है खोते है
जीवन की गाड़ी जब तक चलती है सब चलाते है
कोई समय नहीं है यहां अपने लिऐ अपनों के लिऐ
मोबाईल से ही हेल्लो हाय होती है यहां
बस कॉपी पेस्ट डिलीट जैसे हुई है
आज इंसान की जिंदगी
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर
तु बता ना सर झुका
तु बता ना सर झुका
क्या खता मुझसे हुई
तेरी गलियों में तेरा दीदार किया
तो क्या गुनाह किया
लौट के अब ना आऊंगा कभी
बस एक बार मैरा गुनाह बता
जन्मो जन्मो का बंधन है तेरा मेरा
पल में तूने भुला दिया
सब छोड़ दिया था तेरे लिऐ
आज एक पल में मुझे छोड़ दिया
रात दिन बस तेरे लिऐ जिया
आज मौत के सहारे मुझे छोड़ दिया
ऐ मौत आजा अब लग जा मेरे गले
उसकी हर खुशी के लिऐ मैने हस्ताक्षर है ये किया
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर
क्या खोया क्या पाया किन्नौर ने
क्या खोया क्या पाया हम किन्नौर वासियों ने
जब से आई किन्नौर में सभी परियोजनाएं
आओ थोड़ा सोचे थोड़ा विचार करे
मिल कर इस का निवारण करे
पहले कहते थे किन्नौर अंधेरा
बिजली सड़क ना पानी कैसा होगा सवेरा
आज सब कुछ होने पर भी
है अंधेरा ही अंधेरा
हमारे किन्नौर की धरती पर दरार ही दरार लगया है
जब से सरकार ने जगह जगह खोलें है परियोजनाएं
फसलों का नामों निशान मिट रहा है
नदी नाले चश्मे सब सुख रहे है
सरकार कहती है बिजली से देश तरक्की करेगा
परियोजनाएं रहेगी तो रोजगार रहेगा
अपने अपने जेब सभी नेता भरते आ रहे है
रोजगार भी बाहरी लोगों को दिये जा रहे है
अपने धरती पर मजदूरों पर अत्याचार
मजदूरी के नाप पर सूखा रोटी और अचार
स्थानीय मजदूरों पर करते शोषण
बाहर के मजदूरों का करते ये प्रमोशन
लोगों के नुकसान का मिला नहीं सही मुआवजा
जबरदस्ती करते है ये जमीनों पर कब्जा
गांव बिखर गये है लोग बिखर गये है
जो रोज नारों से परियोजनाओ का विरोध करते थे
आज लोगों को गुमराह कर संघर्ष वाले
सब चुप चाप बैठे आलीशान जीवन खुद जी रहे है
देवताओं का सहारा लिया गया
लोगों को धारा 144 में ला कर डंडो की सैर करवाया गया
आज उसका परिणाम दिख रहा है
उरणी गांव पूरा सड़क में आ गया
वांगतू पावर हाउस लीकेज तयार हुवा
प्वारी बाजार आज दिखता नहीं
परियोजनाओं में ठेकेदारी शुरू हुई
अपनों को ही ये ठेकेदार सिर्फ मिली
ताकतवर लोग ने परियोजनाओ का साथ दिया
बिना माप दण्ड के परियोजनाएं तयार किया
पर्यावरण पर ध्यान कम शासन प्रशासन ने
अपने अपने जेबों में ध्यान दिया
पक्ष विपक्ष के नेता
आपस में वोट बैंक बनाते रहे
दोनों दल जनता को बेवकूफ बना कर
परियोजनाओ का साथ देते रहे
बोलो दिल से क्या पाया क्या खोया
हम किन्नौर वासियों ने आज
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर