सावन की बूंदें
सावन की बूंदें
देती है सबको खट्टी मीठी सौगातें
जब बूंदें आसमान से बरसती है
किसानों के आंखों से तब खुशी के आंसू गिरते है
मंद मंद बरसता सावन की बूंदें
बाढ़ ओर सुनामी को भी दावत देता है
कहीं पर कहर बरसाता
कहीं पर भाग्य विधाता ये सावन की बूंदें
पैड पौधे पशु पक्षियों सभी से
मधुर संगीत तब निकलता
रिम झिम बरसता ये सावन की बूंदें
कांवरियों ओर भक्तों को भोले के दर्शन कराता
सावन की बूंदें
देती है सबको खट्टी मीठी सौगातें
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर
9418232143
माँ तेरा आँचल
माँ तेरा आँचल सबसे न्यारा
माँ तेरा गुस्सा बहुत प्यारा
तस्वीर देखु जब भी
माँ डाँट याद वो बहुत आता है
लौट आऊं क्या फ़िर से बचपन में
जवानी के शितिज से निकल कर
तेरा गाना रूट जाऊँ तो वो मनाना
तस्वीर देखु जब भी
माँ वो प्यार याद आता है
अभी व्यस्थ हूँ अपने जीवन में
जो संसार तुमने है दिखाया
काश में अंधा ही होता
माँ तेरे पास तो में होता
तस्वीर देखु जब भी
माँ वो दुलार याद आता है
धीरे धीरे गुजर रही है जिंदगी
माँ आशिर्वाद जो है तेरा
पास जब आऊं तो
बस वही बचपन में लौट देना
तस्वीर देखु जब भी
माँ वह बचपन याद आता है
जिंदा हूँ अभी तेरी सांसे जो साथ है
जी रहा हूँ भीड़ में तेरी तेरी धड़कन जो साथ है
भटक जाऊँ कभी दुनियाँ के भीड़ में
माँ मुझको राह दिखाना
तस्वीर देखु जब भी
माँ वो सलाह तेरी याद आये
विनती है प्रभु मेरी माँ का प्यार
यूँ ही मिलता रहे
जो खुशी किसी को न मिले
वो मुझको ही मिल
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर
संतुष्ट नहीं है यंहा कोई
संतुष्ट नहीं है यंहा कोई
रोज़ हम कुछ ना कुछ खोज रहे है
सब को कुछ ना कुछ मिल रहा है
पर ठीक से हम सम्भाल नहीं पाते
आदत जो हुई है हमें विश्वाश ना करने की
हर बात पर शक करने की
भूल भूलयिआ की दुनियां है ये
यहां कोई संतुष्ट नहीं है
जब तक संतुष्ट हो जाते है
तब तक हम पीछे बहुत कुछ छोड़ जाते है
मौलिक अप्रकाशित
राम भगत किन्नौर