मिटाये न जायेंगे
?
लाख कोशिश कर भुलाये न जायेंगे।
लकीर पत्थर की हैं मिटाये न जायेंगे।।
सांस नब्जों में दौड़ जायेगी फिर मेरे।
अज़ल के हाथों यूँ उठाये न जायेंगे।।
बादाग़ निगाही जमाना जाने है तेरी।
बख़्श देगा ग़र तो सताये न जायेंगे।।
ग़मजदा दिल हँसी लब पर सजाये।
मेरे मालिक दर तेरे आये न जायेंगे।।
नाज़ नखरे मुहब्बत अदावत भी अनिल।।
मूझसे ये भरम हर्गिज निभाये न जायेंगे।।
पंडित अनिल
देखिये
?
ज़िंदगी की साहेब रफ्तार देखिये।
सभी हैं इसमें गिरफ़्तार देखिये।।
साज़िश है ज़रूर कोई न कोई।
लोग कहते हैं उस पार देखिये।।
आपका ग़म लगे है ग़म साहेब।
हम भी तो हैं ग़मख़्वार देखिये।।
आपके आँगने चाँद सितारे हैं।
मेरा तो दीया है उधार देखिये।।
दर्द हो जायेगा काफ़ूर अनिल।
मुस्कुरा कर इक बार देखिये।।
पंडित अनिल
आदमी बन जाईये
चाँद भी बनाईये सूरज भी बनाईये।
हुज़ूर पहले इक दीया तो दिखाईये।।
चाँद सूरज तो उतरता है घर सबके।
हुज़ूर किसी का चराग़ तो जलाईये।।
कुदरत ने है बहुत नवाज़ा आपको।
हुज़ूर किसी पर तो तरस खाईये।।
ईमान ग़र खोया तो बचा ही क्या।
हुज़ूर बिकिये पूरा बिक ही जाईये।।
रब बनने की फ़िराक में सब हैं बैठे।
हुज़ूर पहले आदमी तो बन जाईये।।
आगाह कर रही है धड़कन दिल की।
हुज़ूर सुनिये जरा सम्हल जाईये।।
छोड़िये भी अब तमाशेबाजी अनिल।
समेटिये पिटारा बस निकल जाईये।।
पंडित अनिल