प्यार कशिश भी फरेब भी .
ये प्यार कशिश भी फरेब भी
हर पल दर्द के सिवा कुछ नही
लबों पे कितने नाम थे कितने शाम थे
पर ख्वाबों ख्यालों में सुबह शाम आप ही हो
प्यार में वफा हो सकती है
बेवफ़ाई सीखी नही
राहों में कितने दीदार होती थी
पर आँखों सिर्फ तुम ही हो
ना तुम समझ पाये हो ना समझोगे
फ़िर भी दिल तेरी ही दीवानगी में बेताब है
दुरीयां मजबूरियां मेरी किस्मत है
आज तेरी अहमियत क्या है समझ गया हूँ
ये प्यार कशिश भी है फरेब भी
हर पल दर्द के सिवा कुछ नही
राम भगत