देते है साथ लोग
दैते है साथ लोग जब
दुरीया नजदीकिया बन जाती है
धीरे धीरे हम सब भूल जाते है
और सारे गमों को मिटा कर एक हो जाते है
नजदीकिया अपनों का अहसास दिलाती है
जन्मों का बंधन हो ऐसा विश्वास दिलाती है
बॉर्डर पार भी कभी ऐसी दुरीया है
नजदीकिया बने तो क्या बात थी
हाथों में बंदूक की जगह
विश्वाश की कलम होता
ओ जालीमो प्यार मुहब्बत को छीन
नफरत को बड़ा क्यों किया
कभी इंडिया कभी भारत कश्मीर बना कर
जम्मी को बाँट दिया
संविधान का मौलिक अधिकार
तो दिया है क्या उसमे धारा बंटवारे का पहले बना है
समझ नहीं आया अब भी
गीता कुरान बाइबल और गोविंद ग्रंथ को पढ़ने वाले
आज भी देश को क्यों बेच रहे है
धर्म और जाती का नाम दंगे क्यों करवा रहे है
देश उस पार भी है देश इस पार भी
फ़िर भी खून ख़राबा आज भी क्यों
मालूम हो गया है अब
इन्सान वहाँ भी है इन्सान यहां भी है
बस राजनति की जी चमक दोनो और है
वो इंसानियत की दगा दे रही है
भले उस पार भी है
भले इस पार भी
दैते है साथ जब लोग
दूरिया नजदीकिया बन जाती है
राम भगत नेगी
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