हथेली पर जान रखते हैं
म ख़ामोश समंदर हैं,पूरा ईमान रखते हैं।
बरगला मत हमको,हम,हथेली पर जान रखते हैं।।
बहुत महंगी है आज़ादी,चुकाई है बहुत क़ीमत।
तिरंगा है मेरा शानी,वही हम शान रखते हैं।।
कुरेदो न यूँ ज़ज़्बे को हमारे,ओ जुगनू प्यारे।
हाथों में तिरंगा और,दिल में हिंदुस्तान रखते हैं।।
गंगा – यमुन की पावन ,वही तहज़ीब है अपनी।
बस इसी बात का,हर वक़्त,मान रखते हैं।।
न अंधे हैं,न बहरे हैं,न दब्बू हैं,न कायर हैं।
बस आदमीयत नीति का ,सम्मान रखते हैं।।
पंडित अनिल
स्वरचित,मौलिक,अप्रकाशित
अहमदनगर,महाराष्ट्र
8968361211