अपराध का धन…..
अपराध का धन आज भी भटक रहा है
चोर बाजारी मे चुप चाप बिक रहा है
नेता अभिनेता और देश के बड़े ठेकेदार
कुछ अफसर शाही और बड़े व्यापरी
अपराध का धन बड़े आरम से बड़ा रहे है
आज भी ईमान अपना बेच रहे है
गरीब अब भी बिक रहा है
ईमान बिक रहा है सम्मान बिक रहा है
रातें बिक रही है बातें बिक रही है
दिन का ईमान बिक रहा है
अपराध का धन दे रहा है देश को दर्द
हर दिन हम वीर जवानों को खो रहे है
भूख बिक रहा है प्यास बिक रहा है
गरीबी का सम्मान बिक रहा है
जमा करो अब भी तिनका तिनका
काला धन है जिनका जिनका
राम भगत